Kisan News: किसानों के फायदे के लिए ICAR ने विकसित की गेहूं की 3 नई किस्में, फसल पर नहीं होंगा गर्मी का असर

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गेहूं की फसल आमतौर पर 140-145 दिनों में तैयार हो जाती है। उत्तर भारत में गेहूं की बुवाई ज्यादातर नवंबर महीने में की जाती है। मौसम में अचानक हुए बदलाव और तापमान में बढ़ोतरी से किसान के साथ- साथ सरकार भी चिंतित है। किसानों को डर सता रहा है कि कहीं पिछले साल की तरह इस बार भी अधिक गर्मी की वजह से गेहूं की फसल प्रभावित न हो जाए। वहीं, सरकार को लग रहा है कि यदि अधिक तापमान की वजह से गेहूं की गुणवत्ता पर असर पड़ता है तो उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। ऐसे में गेहूं और आटे की कीमत कम होने के बजाए और बढ़ जाएगी, जिससे महंगाई बेलगाम हो जाएगी. यही वजह है कि बढ़ते तापमान की निगरानी करने के लिए केंद्र सरकार ने सोमवार को एक कमेटी बनाई थी।

लेकिन अब असमय गर्मी और बढ़ते तापमान को लेकर किसान के साथ- साथ सरकार को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने गेहूं की तीन ऐसी किस्मों को विकसित किया है, जो गर्मी के मौसम आने से पहले पक कर तैयार हो जाएगी। यानी कि सर्दी खत्म होते- होते फसल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और होली से पहले ही उसे काटा जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों का कहना है कि गेहूं के इन किस्मों को विकसित करने का मुख्य उदेश्य ‘बीट-द-हीट’ समाधान के तहत बुवाई के समय को आगे बढ़ाना है।

फसल आमतौर पर 140-145 दिनों में तैयार हो जाती है

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं की फसल आमतौर पर 140-145 दिनों में तैयार हो जाती है। उत्तर भारत में गेहूं की बुवाई ज्यादातर नवंबर महीने में की जाती है। वहीं, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में नवंबर महीने के मध्य तक धान, कपास और सोयाबीन की कटाई होती है। इसके बाद किसान गेहूं की बुवाई करते हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश में दूसरी छमाही और बिहार में गन्ना और धान के कटने बाद गेहूं की खेती शुरू की जाती है।

महीने के अंत तक इन्हें आराम से काटा जा सकता है

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इन नई किस्मों की बुवाई 20 अक्टूबर के आसपास शुरू की जाती है, गर्मी आने से पहले गेहूं काटने के लिए तैयार हो जाएगा। यानी ये नई किस्में फसलों को झुलसा देने वाली गर्मी के संपर्क में नहीं आएंगी। कृषि जानकारों के मुताबिक, मार्च के तीसरे सप्ताह तक इस किस्मों में गेहूं के दाने भरने का काम पूरा हो जाता है। ऐसे में महीने के अंत तक इन्हें आराम से काटा जा सकता है।

HD-3086 से प्रति हेक्टेयर 6-6.5 टन पैदावार मिलती है

खास बात यह है कि IARI के वैज्ञानिकों ने तीन किस्में विकसित की हैं, जिनमें से सभी जीनों को शामिल किया गया है, जो समय से पहले फूल आने और जल्दी बढ़ने में सहायक होंगे। वैज्ञानिकों ने पहली किस्म का नाम HDCSW-18 दिया है। इस किस्म को 2016 में आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया था। यह पहले से मौजूद HD-2967 और HD-3086 किस्म की तुलना में अधिक उपज देती है. HDCSW-18 से आप प्रति हेक्टेयर 7 टन से अधिक गेहूं की उपज प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, HD-2967 और HD-3086 से प्रति हेक्टेयर 6-6.5 टन पैदावार मिलती है।

इसने डीसीएम श्रीरा को किस्म का लाइसेंस भी दिया है

बता दें सामान्य उच्च उपज वाली गेहूं की किस्मों की ऊंचाई 90-95 सेमी होती है। ऐसे में लंबा होने के कारण, जब उनके बालियों में अच्छी तरह अनाज भर जाते हैं तो उन्हें झुकने का खतरा होता है। जबकि, 2022 में जारी दूसरी किस्म एचडी-3410 में की ऊंचाई 100-105 सेमी है। इस किस्म से आपकों 7.5 टन/हेक्टेयर उपज मिलेगी. लेकिन तीसरी किस्म, HD-3385 से बंपर पैदावार मिलने की उम्मीद है। वहीं, ARI ने HD-3385 को पौध किस्मों और किसानों के अधिकार प्राधिकरण (PPVFRA) के संरक्षण के साथ पंजीकृत किया है। इसने डीसीएम श्रीरा को किस्म का लाइसेंस भी दिया है।


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By Harry
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नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।