तीन खतरों से बचाएं गेहूं की फसल , जरूर देखें यदि आपकी भी गेहूं की फसल पकने आ रही हैं तो….

सामान्य समय से लगाई गई गेहूं की फसल में इस समय कीट, रोग और खरपतवार का प्रकोप हो सकता है।

इस समय ज्यादातर नम पूर्वा हवा चलती है जिससे फसल में रोग व कीट प्रकोप ज्यादा रहता है। पूर्वा हवा में फसल में नमी बनी रहती है और नमी की वजह से कई तरह के कीट और रोग के पनपने की आदर्श परिस्थियां बन जाती हैं।”

हमारे किसान किसी भी कीट या रोग का प्रकोप होते ही सबसे पहले रासायनिक दवाओं की ओर भागते हैं जबकि वैज्ञानिक तरीके से कीट और रोग नियंत्रण में यह सबसे आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।”

कृषि मंत्रालय भारत सरकार के साल 2012-13 के आंकड़ों के मुताबिक देश के किसान प्रति 26 रुपए की फसल की रक्षा पर एक रुपए का रसायन खर्च करते हैं।

कीटों से निपटने के तरीके

दीमक
इनकी रोकथाम के लिए दृविवेरिया बसिअना दवाई या लिन्डेन दवा का सुरक्षित का छिड़काव करें। अगर आपके खेत में दीमक का प्रकोप हो चुका है तो गोबर की खाद न डालें, इसके अलावा दीमक प्रभावित क्षेत्र में नीम की खली 10 कुंतल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल सकते हैं।

माहू
यह पौधे का रस चूसने वाले छोटे कीट होते हैं, इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़, पौधे की पत्तियों-बालियों से रस चूसते हैं। प्रबंधन के लिएनीम तेल 1500 पीपीएम दो मिली प्रति लीटर पानी में हिसाब से छिड़काव करें। इसके अलावा इसकी रोकथाम के लिए येल्लो स्टिकी ट्रैप का प्रयोग कर सकते हैं या लाल मिर्च पाउडर के घोल का भी छिड़काव लाभकारी रहेगा।

गुलाबी तना बेधक
यह कीट तने को भीतर से खाकर उसे कमजोर कर देते हैं। इनकी रोकथाम के लिए फेरोमोने ट्रैप का प्रयोग करें और नेपियर या सुडान घांस को रक्षक फसल के रूप मे चारों तरफ लगाएं।

‘कलुआ रोग’ व ‘मामा खरपतवार’ से निपटने के सफल उपाए

प्रमुख रोगों से ऐसे निपटें

झुलसा रोग
इस रोग में पत्तियों के नीचे कुछ पीले व कुछ भूरापन लिए हुए अण्डाकार धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे बाद में किनारों पर कत्थई भूरे रंग के हो जाते हैं। इसके उपचार के लिए प्रोपिकोनोजोल 25 प्रतिशत ईसी रसायन के आधा लीटर को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

गेरुई या रतुआ रोग

इस रोग में फफूंदी के फफोले पत्तियों पर पड़ जाते हैं जो बाद में बिखर कर अन्य पत्तियों को ग्रसित कर देते हैं। इसके उपचार के लिए एक प्रोपीकोनेजोल 25 प्रतिशत ईसी रसायन की आधा लीटर मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

चूहे भी पहुंंचाते हैं नुकसान
गेहूं की खड़ी फसल को चूहे बहुत अधिक नुकसान पहुचाते हैं, इस लिए फसल की अवधि में दो तीन बार इनकी रोकथाम की आवश्यकता रहती है। इसकी रोकथाम के लिए जिंक फास्फाइड या बेरियम कार्बोनेट से बने जहरीले चारे का प्रयोग करें। जहरीला चारा बनाने के लिए जिंक फास्फाइड अथवा बेरियम कार्बोनेट100 ग्राम, गेहूं का आंटा 860 ग्राम, शक्कर 15 ग्राम तथा 25 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर बनाया हुआ जहरीला चारा प्रयोग करें।

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