देश में इस बार रिकॉर्ड क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है. इसी कारण रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन

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देश में इस बार रिकॉर्ड क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है. इसी कारण रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं होेने की उम्मीद है.

लेकिन बढ़ी गर्मी इस बार गेहूं की हालत खराब कर सकती है. इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा.

उत्पादन प्रभावित हो सकता है

पिछले साल गर्मी ने गेहूं पर सितम बरपाया था. इस बार किसानों को उम्मीद थी कि किसानों को गेहूं में बंपर उम्मीद मिलेगी.

लेकिन मौसम के जो मौजूदा हालात बन रहे हैं. उनसे अनुमान जताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में बढ़ी गर्मी से गेहूं की सेहत बिगड़ सकती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि मध्य प्रदेश जैसे गेहूं उत्पादक राज्य में फरवरी का पहला सप्ताह ही बहुत अधिक गर्म हो गया है.

अगर यही हाल रहा तो इसका असर गेहूं उत्पादन पर बहुत अधिक देखने को मिल सकता है.

अन्य कई राज्यों में भी गेहूं की इसी तरह से हालत बेहद खराब बताई जा रही है.

केंद्र सरकार ने किया कमेटी का गठन

पिछले सीजन में गेहूं पर गेहूं के असर ने उत्पादन को खासा प्रभावित किया था.

इस साल एक बार फिर आधी फरवरी में ही तापमान बहुत अधिक गर्म हो गया है.

इससे गेहूं के उत्पादन को बड़े पैमाने पर प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है. गेहूं की फसल को क्या नुकसान होगा.

इसको लेकर केंद्र सरकार के स्तर से एक निगरानी कमेटी का गठन भी कर दिया गया है. इस कमेटी की अध्यक्षता कृषि आयुक्त करेंगे.

इन राज्यों में सामान्य से अधिक रहेगा तापमान

तापमान में बढ़ोत्तरी केवल एक राज्य में नहीं, अन्य राज्यों में भी दर्ज की जा सकती है.

मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि गुजरात, जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में तापमान सामान्य से अधिक हो सकता है.

इन राज्यों में गेहूं की फसल पर निगरानी के लिए एक कमेटी गठित की गई है. अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह से गर्मी बढ़ी है.

उसको देखते हुए कृषि मंत्रालय की कमेटी किसानों को सूक्ष्म यानि कम सिंचाई करने की सलाह देगी.

कमेटी की अध्यक्षता की जिम्मेदारी कृषि आयुक्त डॉक्टर प्रवीण को सौंपी गई है.

कमेटी के अन्य सदस्यों में गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे.

जनवरी सबसे ठंडी, फरवरी सबसे गर्म हो गई

केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि इस बार देश में गेहूं की बुवाई रिकॉर्ड क्षेत्र में की गई है.

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान अधिक होने का उतना असर मुश्किल ही जमीन पर देखने को मिलेगा.

इसके पीछे वजह है कि देश में गेहूं की तापमान रोधी पफसल की अधिक बुवाई हुई है.

उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में तापमान बहुत तेजी से बढ़ा है.

लेकिन इससे भी अधिक गौर करने वाली बात यह है कि तापमान में हुए फेरबदल के कारण जनवरी का महीना सबसे ठंडा और सीजन के हिसाब से फरवरी सबसे गर्म हो गई है.

इसका असर स्पष्ट तौर पर फसलों पर देखने को मिलेगा.

11.22 करोड़ टन हो सकता है गेहूं 

जुलाई से जून तक वर्ष 2022-23 सीजन में गेहूं का की पैदावार 11.22 करोड़ टन होने का अनुमान है.

इसके पीछे वजह यही है कि देश में पिछले साल के सापेक्ष इस बार गेहूं का रकबा बढ़ा है.

पिछले साल लू के चलते गेहूं की उत्पादकता घटी थी. देश में गेंहू का उत्पादन महज 10.77 करोड़ टन रह गया था.

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