पिछले साल को देखते हुए पिछले साल को देखते हुए जिस भाव गेहूं की खरीद की गई थी उसके हिसाब से आज रूबी औसत खरीद मूल्य 2630 रुपए हैं ।पिछले साल की अच्छी मांग पिछले साल की अच्छी मांग और बारिश की वजह से बड़े भाव के कारण खरीद 314 लाख टन का टारगेट तय किया है।केंद्र सरकार ने सरकारी रेट और खरीद शुरू हो गई है पिछले साल को देखते हुए इस बार सरकार ने 314 लाख टन का टारगेट तय किया है जो पिछले साल से बहुत कम है। पिछले साल 444 लाख टन खरीद की गई थी सरकारी खरीद की गई थी।
विशेषज्ञ कहते हैं कि पिछले साल जैसे हालात थे वैसे इस साल भी बने हुए हैं पिछले साल रूस रूस यूक्रेन युद्ध शुरू था और इस समय भी चल रहा है। पिछले साल पिछले साल भी बारिश फसल के समय हो चुकी थी जिससे फसलें भी खराब हुई थी तो क्या इस साल भी सरकार अच्छे भाव और अच्छा टारगेट पूरा करेगी।इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं के भाव 32 ₹100 प्रति क्विंटल चल रहे हैं जो कि भारत के रेट से अधिक है इसी के चलते इस साल फसल के वक्त ओलावृष्टि बारिश आदि मौसमी कहार के कारण फसलें बर्बाद वह खराब हुई है और विशेषज्ञ कहते हैं कि इस साल किसान उसे होल्ड कर कर रखेंगे या अच्छे भाव की उम्मीद में विक्रय रोग के रखेंगे।
साइनसाइटिस्ट इंद्रजीत पाल का क्या कहना है
कॉमेडीटी रिसर्च इंद्रजीत पाल ने हाल ही में यह बताया कि इस साल बारिश ओलावृष्टि कारण फसलें खराब हुई है और सेंट्रल क्षेत्र जहां से अधिक मात्रा में गेहूं ट्राई किया जाता है हरियाणा पंजाब यहां से बफर स्टॉक में गेहूं का क्या किया जाता है यहां पर भी फसलें खराब हुई है तो यहां के किसान अच्छे भाव के लिए स्टॉक कर कर रखेंगे और होल्ड करके रखेंगे गेहूं की बिक्री। सरकार भी सोचती है कि किसान बिक्री नहीं करेंगे गेहूं की इसलिए उन्होंने भारत से गेहूं एक्सपोर्ट पर भी रोक अभी तक खत्म नहीं की है।
उपभोक्ता विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन ने इस बार आंकड़ा कुछ इस प्रकार बताएं कि की अप्रैल 2023 के महीने में भी नई फसल की आवक में भी औसत भाव 2630रुपए प्रति कुंतल है। अभी यह हाल है तो आगे का तो कहीं नहीं सकते और यह भी कहते हैं कि अधिकतर क्षेत्रों में फसल बारिश ओलावृष्टि की वजह से खराब हो गई है जिसकी वजह से हार्वेस्टर के द्वारा भी कटाई नहीं की जा सकती और मजदूरी रेट बहुत ज्यादा है इसकी वजह से किसान अपनी फसल कम दामों पर नहीं बेचेगा।
पिछले साल सरकार ने 444 पॉइंट लाख मेट्रिक टन की खरीद का अनुमान लगाया था पर यह पूरा नहीं होने पर सरकार ने 195 लाख मैट्रिक टन का टारगेट सोचा पर यह भी 187 पॉइंट 5 पर आकर रुक गया। तब सरकार ने ओपन सेलिंग मार्केट के तहत भाव में रियायत देते हुए भी सेलिंग करी पर मार्केट भाव भी ₹500 एमएसपी से ज्यादा था। सरकार ने इसी के तहत गेहूं के बायप्रोडक्ट और गेहूं के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी थी। सरकार की बड़ी जद्दोजहद के बाद भी गेहूं के रेट एमएसपी 2125 रुपए नहीं हुई किसान नेता गुरनाम सिंह डोली ने सरकार से ₹500 बोनस केमांग उठाइए।

