Kisan News: गर्मी में भी किसान फसलों से पा सकते हैं बंपर पैदावार, इन बातों का ध्यान रखना होगा आवश्यक

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खरीफ स्पेशल: क‍िसानों के ल‍िए अप्रैल और मई का महीना का बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इन महीनों में कुछ आवश्यक कदम उठा कर क‍िसान साल भर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

खरीफनामा: अप्रैल और मई का महीना क‍िसानों के ल‍िए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि इस समय खाली खेतों को हेल्दी और उपजाऊ बनाने के लिए किसानों को कुछ जरूरी काम करने होते हैं। इन सभी कामों में से सबसे जरूरी है क‍ि क‍िसान इन महीनों में अपने खेतों की गहरी जुताई करें, ज‍िसके बाद कुछ समय के ल‍िए खेतों को खुला छोड़ दें. असल में इस समय खेतों की गहरी जुताई करना बहुत फायदेमंद होता है। इससे जमीन के अंदर छिपे रहने वाले फसलों के शत्रु कीट सूर्य की गर्मी से नष्ट हो जाते हैं और फसलों पर कीट और रोगों का प्रकोप कम हो जाता है। साथ ही खेतों की वर्षा जल को धारण करने की क्षमता भी बढ़ती है, जो फसलों को सूखे से बचाती है. इससे आने वाले सीजन में फसलों की पैदावार में इजाफा होता है।

गर्मी की गहरी जुताई से सूर्य की रोशनी जमीन के अंदर तक जाती है
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिवधर मिश्रा ने बताया कि अप्रैल और मई महीने में गर्मी तेज पड़ती है, जिसमें दिन का तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है और सूरज की रोशनी सीधे धरती पर पड़ती है. इससे भूमि का तापमान भी बढ़ जाता है, अगर किसान रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों की 12 इंच तक यानि 20 से 30 सेंटीमीटर तक गहरी जुताई करता है, तो इसे गर्मी की गहरी जुताई कहा जाता है. डॉ मिश्रा ने बताया कि रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है. उन्होंने कहा कि क‍िसानों को खेत की गहरी जुताई 15 मई तक कर देनी चाहिए।

क‍िसान सुबह और शाम को ही करें खेतों की गहरी जुताई

डॉ शिवधर मिश्रा ने कहा कि क‍िसानों को खेतों की गहरी जुताई का कार्य सुबह 7 से 11 बजे तक और शाम को चार से छह बजे के बीच ही करना चाहिए. इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा क‍ि इस समय कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षी ज्यादा सक्रिय रहते हैं. जो कीटों और लार्वा को खा जाते हैं. इसके बाद अधिक तापमान से रोगों के रोगजनक कीटों अंड़े खत्म हो जाते है।

जुताई के ल‍िए इन यंत्रों का प्रयोग करें क‍िसान

गर्मी की गहरी जुताई करने के लिए मोल्डबोर्ड हल, डिस्क हल, सब सॉयलर, कल्टीवेटर जैसे कृषि यंत्रों इस्तेमाल करना चाहिए. खरीफ फसलों के उत्पादन के लिए गर्मियों की जुताई सबसे अहम होती है. समय से गर्मी की जुताई करने पर 50 फीसद तक फसलों की पैदावार बढ़ सकती है. गर्मियों की गहरी जुताई से खेत में लंबे समय तक नमी बनी रहेगी और फसलों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होगी. वहीं जब गेहूं को हार्वेस्टर से काटा जाता है तो फसल के अवशेष खेत में रह जाते हैं।

वहीं खेतों की जुताई किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत करनी चाहिए.इस तरह से जुताई करने से बारिश का बहुत सारा पानी मिट्टी सोख लेती है और पानी जमीन की नीचे तक पहुंच जाता है. इससे न केवल मिट्टी का कटाव रुकता है बल्कि पोषक तत्व भी बहकर बर्बाद नहीं होते हैं.उन्होंने बताया कि गहरी जुताई से जो ढेला बनते हैं. वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं. साथ ही जुताई से मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां पौधों की जड़ें और खेत में सुखे खरपतवार मिट्टी में दब जाते हैं। जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खाद बन जाते हैं।

खरीफनामा अभ‍ियान के बारे में

क‍िसान तक ने खरीफ सीजन में क‍िसानों को जागरूक करने के ल‍िए खरीफनामा अभ‍ियान की शुरुआत की है. क‍िसान तक खरीफनामा अभि‍यान के माध्यम से देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक बैठे क‍िसानों को खरीफ सीजन और उससे पहले खेतों की उर्वरक शक्त‍ि बढ़ाने के ल‍िए क‍िए जाने वाले उपाय, खाद, बीज, स‍िंचाई, म‍ृदा स्वास्थ्य समेत क‍िसानों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराएगा।

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