गन्ना किसानों के लिए ऋण सीमा में की गई वृद्धि, अब किसानों को मिलेगा अधिकतम इतना लोन

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गन्ने की खेती हेतु ऋण कृषि में निवेश के लिए किसानों के पास पूँजी उपलब्ध होना आवश्यक है, ऐसे में किसानों को यह पूँजी कम ब्याज दरों पर आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। जिसके तहत किसानों को फसल उत्पादन के लिए अल्पकालिक फसली ऋण दिया जाता है, इस कड़ी में उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन के लिए सहकारी बैंकों द्वारा लिए जाने वाले ऋण की सीमा में वृद्धि कर दी है।  उत्तर प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी/ निबंधक, सहकारी गन्ना समितियाँ कि नाबार्ड योजना के अंतर्गत अल्पकालीन ऋण वितरण हेतु अधिकतम ऋण सीमा 50 हजार रुपए प्रति सदस्य निर्धारित थी, जिसे वर्ष 2019 में बढ़ाकर 75 हजार रुपए प्रति सदस्य कर दिया गया था। जिसे अब आगे बढ़ाकर 1 लाख रुपए प्रति सदस्य कर दिया गया है।

अब किसानों को प्रति एकड़ कितना लोन मिलेगा इस सम्बंध में अधिक जानकारी देते हुए श्री भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना किसानों को लाभ देने के लिए ऋण सीमा के निर्धारण हेतु 03 मानकों में भी संशोधन किया गया है। इन मानकों के अंतर्गत गन्ने क्षेत्रफल के लिए निर्धारित प्रति एकड़ वित्तमान को 8 हजार रुपए से बढ़ाकर 20 हजार रुपए किया गया है। इसके साथ ही सदस्यों द्वारा समिति में जमा अंश धनराशि को 80 गुना से बढ़ाकर 100 गुना निर्धारित किया गया है। सदस्यों के गन्ने के बेसिक कोटे को 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत प्रति सदस्य किया गया है तथा निबंधक द्वारा 03 मानकों के आधार पर ज़िला सहकारी बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण सीमा अधिकतम 3 वर्ष के लिए होगी।

उन्होंने यह भी बताया कि उपरोक्त अनुसार की गई बढ़ोतरी से गन्ना कृषकों को समिति से वांछित कृषि निवेशों की उपलब्धता होगी, जिसका समुचित उपयोग कर कृषक गन्ना उत्पादन में वृद्धि कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

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