Jhabua news: क्षेत्र में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों की बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है। एक बीघा में करीब 10 हजार रुपये की लागत आती है।
Jhabua news: लोकेंद्रसिंह परिहार, पेटलावद। क्षेत्र में किसानों का रुझान परंपरागत फसलों की बजाय फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है। इन दिनों गेंदा फूल की खेती से ज्यादा मुनाफे की खुशबू आ रही है। इसकी खेती में एक बीघा में 25 से 30 हजार का मुनाफा हो रहा है। विवाह, स्वागत समारोह, धार्मिक समेत अन्य कार्यक्रमों में गेंदा फूलों की सबसे ज्यादा मांग रहती है। इसी से पेटलावद क्षेत्र में लगातार इसका रकबा बढ़ रहा है। परंपरागत खेती के बजाए उद्यानिकी खेती को अपनाकर अन्य फसलों से ज्यादा लाभ कमा रहे हैं।
प्रति बीघा 30 हजार का मुनाफा
जामली के किसान विजय पाटीदार ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से गेंदा के फूलों की खेती कर रहे हैं। एक बीघा में 10 हजार रुपये की लागत आती है। करीब 10 क्विंटल उत्पादन मिल जाता है। 40 से 100 रुपये किलो तक फूल बिक जाते हैं। इस खेती से 25 से 30 हजार रुपये प्रति बीघा मुनाफा हो जाता है, लेकिन भाव में कमी के कारण यह मुनाफा कभी-कभी बराबर भी हो जाता है। एक तरह देखा जाए तो इस खेती से नुकसान नहीं होता है।
अन्य शहरों में भी होती है बिक्री
यहां का फूल रतलाम, झाबुआ, धार, उज्जैन भी जाता है। दीपावली पर तो यह फूल बड़ी मंडियों तक भी जाता है। गुजरात में यहां से ज्यादा फूल भेजे जाते हैं। किसान फूलों को कई बड़ी मंडियों में बेच रहे हैं। जिन किसानों के यहां सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है, वे इन्हें निकालकर गेहूं-चने की खेती भी कर लेते हैं। जिनके यहां पानी की कमी है, वे सिर्फ फूलों की खेती पर ही निर्भर हैं। यही वजह है कि कई किसान गेंदे के फूलों की खेती करने लगे हैं।