जानिए, मौसम के अनुरूप दुधारू पशुओं का आहार
मौसम के अनुसार इस समय चारा फसलों की बुवाई करना किसानों के लिए फायदेमंद हो सकता है, खासकर दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे की आपूर्ति बढ़ाने के लिए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, बरसीम, जई और लूर्सन जैसी उन्नत चारा फसलें बुवाई के लिए आदर्श हैं, जो प्रति हेक्टेयर उच्च उत्पादन देती हैं।
पशुओं के लिए विभिन्न चारा किस्में
(1) बरसीम
बरसीम एक महत्वपूर्ण चारा फसल है, जो खासकर दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे का प्रमुख स्रोत होती है। यह मुख्य रूप से रबी मौसम में उगाई जाती है और इसके हरे चारे से पशुओं को अत्यधिक पोषण मिलता है। बरसीम की उन्नत किस्में उच्च उत्पादन देने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती हैं।
उन्नत किस्में – जवाहर बरसीम-1, जवाहर बरसीम-5, बुंदेल बरसीम-3, और वरदान से 80-100 टन हरा चारा प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है।
बुवाई की सही विधि और उर्वरक की मात्रा
बीजों की मात्रा: समय पर बुवाई के लिए बीज दर 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर और देर से बुवाई के लिए 35 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।
उर्वरक का प्रयोग: 20 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो फास्फोरस, और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर।
(2) जई
जई (Oats) एक ऐसी फसल है जिसे मुख्य रूप से चारा के रूप में और मानव आहार में भी उपयोग किया जाता है। यह एक रबी मौसम की फसल है, जो ठंडी जलवायु में अच्छी तरह से उगती है और विशेष रूप से किसानों द्वारा दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे के रूप में उगाई जाती है। इसके अलावा, जई का उपयोग आटा, दलिया और कई अन्य खाद्य उत्पादों के रूप में भी किया जाता है।
उन्नत किस्में – जेओ-61, जेओ-03-91 और केन्ट जई जैसी किस्मों से 40 से 50 टन हरा चारा प्रति हेक्टेयर मिलता है।
बुवाई की सही विधि और उर्वरक की मात्रा
बीजों की मात्रा: 60-70 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।
उर्वरक का प्रयोग: 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो स्फुर, और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर। नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और शेष पहली तथा दूसरी सिंचाई के दौरान दें।
(3) लूर्सन
लूर्सन (Lucerne), जिसे अल्फाल्फा (Alfalfa) भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण बहुवर्षीय चारा फसल है। यह विशेष रूप से दुधारू पशुओं के लिए उपयोगी है और किसानों द्वारा उनके पशुओं के लिए पोषक हरे चारे के रूप में उगाई जाती है। लूर्सन की फसल प्रोटीन, खनिजों और विटामिन्स से भरपूर होती है, जो पशुओं के लिए अत्यधिक फायदेमंद है।
उन्नत किस्में – जेबी-5 और आनंद लूर्सन-3 से 50-55 टन हरा चारा प्रति हेक्टेयर मिलता है।
बुवाई की सही विधि और उर्वरक की मात्रा
बीजों की मात्रा: 12-15 किलो प्रति हेक्टेयर रखें।
उर्वरक का प्रयोग: 20 किलो नाइट्रोजन, 80 किलो स्फुर और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर।
किसानों के लिए विशेष सलाह
यह चारा फसलें न केवल दुधारू पशुओं के लिए पोषक तत्वों से भरपूर चारा प्रदान करती हैं, बल्कि किसान को अच्छे उत्पादन के साथ आर्थिक लाभ भी देती हैं। यदि आप भी अपनी फसल को अधिक लाभकारी बनाना चाहते हैं, तो इन उन्नत किस्मों की बुवाई इस समय करें और सही खाद व बीज दर का पालन करें।