Dhan Ki Kheti: किसान धान की अच्छी पैदावार के लिए अपनाएं यह तरीके, देखें किन बातों का रखना होगा ध्यान

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बीज जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक है कि बीजों का शोधन ट्राइकोडर्मा पांच से छह ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें या कारबेंडाजिम मैंकोजब थीरम दो से ढाई किलोग्राम बीज की दर से करना चाहिए।अन्नदाताओं को धान के बीजों का बीजोपचार करके ही नर्सरी डालनी चाहिए। वहीं बेहतर उत्पादन पाने के लिए उन्नत किस्म के बीजों का चयन करना चाहिए। क्योंकि बहुत से रोग बीजों से ही फैलते हैं।

रोग दो प्रकार के होते हैं। मृदा जनति व बीज जनित रोग। मृदा जनित रोग को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक है कि जिस खेत में हमें नर्सरी डालनी है उसकी अंतिम जोताई के समय 50-75 किलोग्राम सड़े हुए गोबर के साथ एक से डेढ़ किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार जगह रखे हुए गोबर को उसमें बिखेर कर जोताई करना चाहिए। इससे हमारी मृदा का शोधन हो जाएगा।बीज जनित रोगों को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक है कि बीजों का शोधन ट्राइकोडर्मा पांच से छह ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से करें या कारबेंडाजिम मैंकोजब, थीरम दो से ढाई किलोग्राम बीज की दर से करना चाहिए।

कवकनाशी रसायन से करें उपचारित

बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है। इससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं। क्योंकि बीजोपचार रसायन बीज के चारों ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है और बीजों को सुरक्षित रखता है। बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है। इससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है।

ऐसे करें बीजोपचार

पानी में नमक का दो प्रतिशत का घोल तैयार करें। इसके लिए 20 ग्राम नमक को एक लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाएं। इनमें बोआई के लिए काम में आने वाले बीजों को डालकर हिलाएं, इससे हल्के व रोगी बीज इस घोल में तैरने लगते हैं। इन्हें निकालकर अलग कर दें और तली में बैठे बीजों को साफ पानी से धोकर सुखाकर फिर फफूंदनाशक कीटनाशक व जीवाणु कल्चर से उपचारित करके बोआई करें।केविके के विज्ञानी डा. अभयदीप गौतम के अनुसार, धान के बीजों का बीजोपचार करके ही नर्सरी डालनी चाहिए। साथ ही बेहतर उत्पादन पाने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीजों का चयन करना चाहिए।


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