जानिए धान की उन्नत किस्मों के बारे में और इनसे कैसे पाएं लाभ??
हमारे देश में खरीफ के सीजन में कई फसलों की बुवाई की जाती है जिसमें धान एक प्रमुख फसल है क्योंकि हमारे देश में धान की खेती लाखों किसान भाई करते हैं। मानसून की बारिश के प्रारंभ होते ही किसान भाई धान की खेती और धान की बुवाई करना प्रारंभ कर देते हैं। फसल की बुवाई में प्रमाणित बीज होना चाहिए अच्छे किस्म के बीजों से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है और हमें अच्छी गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है। भारत में पश्चिम बंगाल में धान की खेती अधिक रूप से होती है यहां लगभग 54.34 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है जिससे उत्पादन लगभग 146.06 लाख टन प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त हमारे देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां धान की खेती प्रमुख रूप से की जाती है जैसे – आंध्र प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार छत्तीसगढ़ और पंजाब आदि। अधिक पैदावार प्राप्त करनी हो और दोगुना लाभ प्राप्त करना हो इसके लिए धान की उन्नत किस्म का प्रयोग करें जिसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करें। धान की उन्नत किस्में इस प्रकार है जिसकी खेती कर अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है
(1) मकराम
धान की मकराम किस्म एक अर्ध बौनी किस्म मानी जाती है। धान की मकराम किस्म के दानों का आकार लंबा और मध्यम होता है। धान की मकराम किस्म के फसल के पकने की अवधि 160 से 175 दिन है।
धान की मकराम किस्म से पैदावार प्रति हेक्टेयर में 52 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है। धान की मकराम किस्म की मुख्य विशेषता यह है कि इस किस्म में रस चूसने वाले कीटों और रोगों का प्रकोप नहीं होता हैं।
(2) जया धान
धान की जया धान किस्म के दानों का आकार लंबा और रंग सफेद होता है। जया धान किस्म के फसल के पकने की अवधि 130 दिन है।
जया धान किस्म से उत्पादन प्रति हेक्टेयर में 50 से 60 क्विंटल तक प्राप्त हो जाता है। धान की जया किस्म SB, RTB, BLB और ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी होती है।
(3) पूसा सुगंध-3
धान की पूसा सुगंध-3 किस्म एक बोनी किस्म है। पूसा सुगंध-3 बासमती चावल की अधिक उत्पादन देने वाली सुगंध से परिपूर्ण किस्म है। धान की पूसा सुगंध-3 किस्म के फ़सल के पकने की अवधि 120 दिन है।
पूसा सुगंध-3 किस्म से औसत उत्पादन लगभग प्रति एकड़ में 40 से 45 क्विंटल प्राप्त होता है।
पूसा सुगंध-3 किस्म को उत्तर भारत के राज्य के लिए उपयुक्त माना गया है इसलिए इसकी खेती भारत के मध्यप्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में विशेष रूप से की जाती है।
(4) बासमती-370
धान की बासमती-370 किस्म एक संवेदनशील किस्म है। बासमती-370 किस्म के दानों का आकार पतला और लंबा होता है तथा धान की यह किस्म अत्यधिक सुगंधित होती है। धान की बासमती-370 किस्म के फसल के पकने की अवधि लगभग 150 दिन है।
बासमती-370 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति एकड़ में 12 क्विंटल तक प्राप्त होता है। धान की बासमती-370 की मुख्य विशेषता यह है कि इसके दाने पकने के बाद दुगने आकार के हो जाते हैं तथा चिपचिपे नहीं होते हैं।
(5) हाइब्रिड-620
धान की हाइब्रिड-620 किस्म उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों में से एक है। धान की हाइब्रिड-620 किस्म के दानों का आकार लंबा होता है और दाने चमकदार होते हैं। धान की इस किस्म को पक कर तैयार होने में लगभग 130 दिन का समय लगता है।
हाइब्रिड-620 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 62 क्विंटल तक प्राप्त होता है। हाइब्रिड-620 किस्म धान के ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है।
(6) CSR-10
धान CSR-10 किस्म का पौधा बना होता है। धान की CSR-10 किस्म के दाने का आकार छोटा और रंग सफेद होता है। इस किस्म की फसल के पकने की अवधि लगभग 115 से 120 दिन है।
CSR-10 किस्म से औसत उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल तक होता है। CSR-10 किस्म की खेती हमारे देश में कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा राज्य में अधिक रूप से की जाती है।
(7) DRR-310
धान DRR-310 किस्म के दानों में काफी चमक पाई जाती है तथा प्रोटीन की मात्रा भी 10.3% तक पाई जाती है। DRR-310 किस्म के पकने की अवधि लगभग 125 दिन है।
DRR-310 किस्म उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल तक प्राप्त हो जाता है। धान की यह किस्म मुख्य रूप से उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों द्वारा मुख्य रूप से अपनाई गई है।
(8) NDR-359
धान की NDR-359 किस्म तेजी से पकने वाली किस्म है। धान की NDR-359 किस्म की फसल को पकने में लगभग 130 दिन का समय लगता है।
धान की यह किस्म हमारे देश में उड़ीसा, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य के लिए उपयुक्त मानी गई है।
(9) PHB-71
धान की PHB-71 किस्म के दानों का आकार लंबा, चमकदार और रंग सफेद होता है। धान की PHB-71 किस्म की फसल को पकने में लगभग 130 से 135 दिन का समय लगता है।
धान की PHB-71 किस्म से उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर से 86 क्विंटल तक प्राप्त होता है। यह किस्म GM, BPH और ब्लास्ट रोगों के प्रति सहनशील होती है।
(10) IR-64 DRT-1
धान की IR-64 DRT-1 किस्म विकसित करने का श्रेय बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को जाता है। धान की IR-64 DRT-1 किस्म के बीज को IR-64 को अपग्रेड करके तैयार किया गया है।
धान की IR-64 DRT-1 किस्म सूखे की स्थिति के लिए बहुत अच्छी किस्म मानी जाती है क्योंकि यह किस्म बिना सिंचाई के लगभग 21 दिन तक रह सकती है क्योंकि इसमें पानी की आवश्यकता कम होती है इसलिए इस किस्म को सूखे इलाकों के लिए काफी बेहतर माना जाता है।
यह किस्म कम बारिश और सूखे वाली जगह पर अच्छा उत्पादन देती है। स्थान जहां कम बारिश हो जैसे पहाड़ी इलाकों वाली जगह के लिए उपयोगी मानी जाती है।
धान की IR-64 DRT-1 किस्म से उत्पादन लगभग एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल और 1 एकड़ में 16 क्विंटल तक प्राप्त हो जाता हैं।