DAP RATE: यूरिया DAP का किसान कर ले स्टॉक आधी कीमत में मिल रहा है खाद्य बुआई के पहले लाये घर बिना झिझक कर रहे डीएपी यूरिया का इस्तेमाल, लंबे समय बाद दामों में आई भारी गिरावट परेशानी में हैं किसान, बिना झिझक कर रहे डीएपी यूरिया का इस्तेमाल, लंबे समय बाद दामों में आई भारी गिरावट इस वजह से जहां सब्सिडी कम होगी, वहीं सरकारी खजाने को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार उर्वरक आयात करने के लिए स्वतंत्र है
यूरिया DAP का किसान कर ले स्टॉक
यूरिया के दाम में भारी गिरावट आ सकती है। उर्वरक उद्योग के सूत्रों ने कहा कि वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में और गिरावट आने और 400 डॉलर प्रति टन से नीचे आने की संभावना है। देश में सालाना लगभग 80 से 90 मिलियन टन यूरिया का आयात किया जाता है। आगामी खरीफ सीजन की फसलों की जरूरतों को देखते हुए जल्द ही यूरिया आयात का टेंडर निकाला जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूरिया के दाम में 58 फीसदी और डीएपी के दाम में 36 फीसदी की कमी आई है। यूरिया की कीमत, जो साल के लिए 950 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी, गिरकर 400 डॉलर हो गई। जबकि डीएपी जैसे बल्क फर्टिलाइजर की कीमत 1,000 डॉलर से गिरकर 640 डॉलर प्रति टन हो गई है। भारत को अपनी उर्वरक जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करना पड़ता है।
खाद्य बुआई के पहले लाये घर
जहां तक कीमतों में गिरावट की बात है तो उद्योग के सूत्रों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डीएपी और यूरिया की आपूर्ति में सुधार हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद उर्वरक की कीमतें तेजी से बढ़ीं। चीन जैसे प्रमुख उर्वरक उत्पादक देश निर्यात से पीछे हट गए हैं। भारत बड़ी मात्रा में डीएपी और यूरिया चीन से आयात करता है।क्योंकि नैनो फर्टिलाइजर पर सब्सिडी नहीं है. इसके बावजूद वो पारंपरिक रासायनिक खाद के मुकाबले किसानों के लिए सस्ती है. कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा यूरिया की मांग होती है. उसके बाद डीएपी और एनपीके की. इफको ने यूरिया और डीएपी दोनों को नैनो फर्टिलाइजर में कन्वर्ट कर लिया है. फिलहाल.
डीएपी यूरिया में इतने फीसदी की बढ़ोतरी हुई है
भारत में हर साल लगभग 55 मिलियन टन डीएपी का आयात किया जाता है। डीएपी का आयात भी चालू विपणन वर्ष में 60 लाख टन से अधिक हो सकता है। चालू वर्ष 2022-23 में अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के बीच यूरिया के घरेलू उत्पादन में 12.8 प्रतिशत, डीएपी के 4 प्रतिशत और एनपीके के 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कृषि क्षेत्र में नई क्रांति
सहकारिता क्षेत्र से केंद्र सरकार की एमएसपी कमेटी के सदस्य बनाए गए बिनोद आनंद का कहना है कि नैनो यूरिया और डीएपी कृषि क्षेत्र में किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं हैं. इसके प्रयोग से लाखों किसानों की खेती की लागत तो कम होगी ही, इसका भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन काफी आसान हो जाएगा. कोई भी किसान क्यों उठाएगा 50 किलो का बैग।उर्वरक सब्सिडी के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया हैइसके परिणामस्वरूप यूरिया आयात में केवल 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि डीएपी और एनपीके के आयात में भारी इजाफा हुआ है। कीमतों में गिरावट से यूरिया की तुलना में जटिल उर्वरकों की आयात मांग बढ़ सकती है। आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में उर्वरक सब्सिडी के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

