इन नस्लों की भेड़ पालने से पशुपालक जल्द ही हो सकते हैं मालामाल

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भारत में भेड़ पालन एक लोकप्रिय पशुपालन उद्योग है। भेड़ को दूध, मांस और ऊन के उत्पादन के लिए पाला जाता है। भेड़ पालन से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बनते हैं और इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। यह काम किसान भाई खेती बाड़ी के साथ ही करते हैं जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। भेड़ पालन का काम ज्यादातर छोटे और सीमांत किसान करते हैं। भेड़ों की मौत के बाद उनकी खाल की भी बाजार में अच्छी खासी मांग रहती है। भेड़ की खाल से जूते, चप्पल और हैंड बैग जैसी चीजें बनाई जाती हैं।

इन दिनों भारत में किसानों के द्वारा कई नस्लों की भेड़ें पाली जाती हैं। जिनका उपयोग ज्यादातर ऊन उत्पादन में किया जाता है। इनमें जैसलमेरी, मंडियां, छोटा नागपुरी शहाबाबा, मारवाड़ी, बेकानेरी, मालपुरा, कोरिडायल रामबुतु और मैरिनो प्रमुख हैं। इन सभी प्रजातियों की भेड़ें किसी भी प्रकार के मौसम में रह सकती हैं, जिससे पशुपालकों को इनको पालने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती है। पशुपालकों द्वारा ऐसा कई बार कहा जाता है कि उन्हें भेड़ पालन में उचित मुनाफा नहीं होता है, इसलिए आज हम आपको भेड़ों की ऐसी नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे किसान भाई रातोंरात मालामाल बन सकते हैं।

अविकालीन भेड़

यह भेड़ उन्नत किस्म के ऊन का उत्पादन करती है। जिसका उपयोग कालीन बनाने में किया जाता है। इस भेड़ से प्राप्त होने वाला ऊन बेहद पतला होता है। अगर इसके वार्षिक उत्पादन की बात करें तो यह भेड़ एक साल में 2 से लेकर 2.5 किलो तक ऊन दे सकती है। इस नस्ल की भेड़ का पालन करके किसान भाई अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं।

अविवस्त्र भेड़

यह सबसे ज्यादा ऊन देने वाली भेड़ की नस्ल है। यह एक साल में 4 किलोग्राम से ज्यादा ऊन दे सकती है। इसके साथ ही इस भेड़ का वजन भी तेजी से बढ़ता है। ऐसे में इसका मांस बेंचकर भी पशुपालक अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इस भेड़ का वजन एक साल के भीतर 23 किलोग्राम तक हो सकता है।

चौकला भेड़

यह बेहद वजनी भेड़ होती है, जिसका वजन 32 से लेकर 40 किलोग्राम तक हो सकता है। यह भेड़ एक साल में 2.5 किलोग्राम ऊन का उत्पादन कर सकती है। इस नस्ल की भेड़ में सींग नहीं होते। यह ज्यादातर राजस्थान के सीकर, झुंझुनू और चुरू जिले में पाई जाती है।

इनके अलावा भारत में लोही, कूका, गुरेज, नुरेज, हसन, नैल्लोर, जालौनी, शाहवादी, बजीरी, बैलारी, जालौनी, भाकरवाल, मागरा, काठियावाड़ी, भादरवाल और दक्कनी नस्ल की भेड़ें भी पाई जाती हैं।


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नमस्ते! मैं कपिल पाटीदार हूँ। सात साल से मैंने खेती बाड़ी के क्षेत्र में अपनी मेहनत और अनुभव से जगह बनाई है। मेरे लेखों के माध्यम से, मैं खेती से जुड़ी नवीनतम तकनीकों, विशेषज्ञ नुस्खों, और अनुभवों को साझा करता हूँ। मेरा लक्ष्य है किसान समुदाय को सही दिशा में ले जाना और उन्हें बेहतर उत्पादकता के रास्ते सिखाना।