Best Rabi Crops: इस फसल की खेती कर देती है किसानों को मालामाल, भरपूर उत्पादन के साथ जमीन भी बनाती है उपजाऊ

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Rabi Crops : अब किसानों का रुझान परंपरागत फसलों के बजाय नकदी फसलों की ओर ज्यादा है। इन नकदी फसलों में मूंग की फसल भी प्रमुख रूप से शामिल है। यह फसल मुख्यतः रबी की फसल है, जिसकी बुआई का समय भी आ गया है। मूंग की खेती का एक फायदा तो यह है कि यह किसानों को मालामाल कर सकती है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा कर उसे उपजाऊ बनाती है। इस तरह इसकी खेती करके आम के आम और गुठलियों के भी दाम किसान पा सकते हैं।

रबी के सीजन में मार्च का महीना और खरीफ में जून-जुलाई का महीना मूंग की रोपाई के लिए आदर्श माना जाता है। सितंबर-अक्टूबर तक फसल की कटाई का भी समय हो जाता है। ऐसे में उन्नत बीजों का इस्तेमाल कर मूंग की खेती करने पर किसानों को दूसरी फसल से अतिरिक्त कमाई का मौका भी मिल जाता है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में भी हरदा और नर्मदापुरम जिले के किसानों द्वारा की जा रही मूंग की खेती से प्रेरित होकर बड़ी संख्या में किसान अब रबी सीजन में गेहूं और गन्ना की फसल कटाई करने के बाद मूंग की खेती करने लगे हैं। वैसे मूंग की बुआई का सही समय मार्च का महीना ही माना जाता है। इस समय में दिन में तेज धूप और रात में हल्की ठंड पड़ती है जिससे पैदावार अच्छी होती है।

गन्ने के साथ की जा सकती है इसकी खेती

मूंग की फसल कम अवधि में तैयार होने वाली दलहनी फसल है। तुअर या अरहर की दो कतारों के बीच मूंग की दो कतारों की बुआई की जा सकती है। मूंग की अन्तरवर्तीय खेती गन्ने के साथ भी की जा सकती है। मूंग के दाने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल के लिए होता है। इसमें 24-26 % प्रोटीन, 55-60 % कार्बोहाइड्रेट और फैट यानी वसा 1.3 प्रतिशत होता है। मूंग की फसल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। जिले के सिंचित क्षेत्रों में धीरे धीरे मूंग की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है।

इतना लिया जा सकता है उत्पादन (Best Rabi Crops)

मूंग की खेती करने वाले किसानों को यदि उत्पादकता को बढ़ाना है तो इसके लिए उन्नत प्रजातियों के मूंग के बीज का चयन बेहद आवश्यक है। कृषि विज्ञान केंद्र बैतूलबाजार के वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्नत बीज से मूंग की पैदावार को 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक लिया जा सकता है। मूंग की खेती वर्षा ऋतु में भी की जा सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा इस बार भी पीला मोजेक से प्रभावित न होने वाली किस्म का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। बीज कार्यक्रम के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया गया है।

ऐसे करें मूंग की बुआई की तैयारी

मूंग की खेती के लिए खतों की मिट्टी की जांच सबसे जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मूंग की खेती दोमट मिट्टी में अच्छी होती है। काली जमीन में भी खेती की जा सकती है। खेत में पानी जमा न होने का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। खरीफ के सीजन में बुवाई के लिए खेत को तैयार करने के लिए गर्मी में गहरी जुताई करें। बारिश होने पर 2-3 बार और जुताई करें। खरपतवार हटाने के बाद खेत में पाटा चलाकर जमीन को समतल करें। रबी सीजन में भूमि जनित रोगों के बचाव के लिए पहले से ही किसानों को सतर्कता बरतना चाहिए।

बंपर पैदावार के लिए ऐसे करें उर्वरकों का इस्तेमाल

मूंग की फसल को दीमक से बचाने के लिए क्लोरपायरीफॉस खेत तैयार करते समय ही मिट्टी में डालना चाहिए। मूंग की फसल में बंपर पैदावार के लिए 8 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो स्फुर, 8 किलो पोटाश और 8 किलो गंधक (Sulfur) का प्रयोग करना चाहिए। ये पैमाना एक एकड़ में मूंग लगाने के लिए है। किसानों को अपने खेतों में मूंग की रोपाई के समय मिट्टी की जांच के बाद ही उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए।

65 से 70 दिनों में हो जाती है तैयार(Best Rabi Crops)

आम तौर पर जो किस्में आ रही हैं उसमें मूंग की फसल 65 से 70 दिनों में पक जाती है। मार्च माह में बोई गई फसल मई के पहले सप्ताह तक कट जाती है। फलियां पकने के बाद हल्के भूरे रंग की होती हैं। कुछ फलियां काली भी होती हैं। मूंग की फसल की कटाई की पहचान फलियों का रंग ही है। सभी फलियां एक साथ नहीं पकतीं। ऐसे में फलियों की तुड़ाई हरे से काला रंग होते ही 2-3 बार में करें। बिना पकी हुई फलियों की कटाई करने से दानों की मात्रा और क्वालिटी दोनों खराब होती है।

कटाई के बाद सुखाना भी है जरूरी

मूंग की फसल काटने के बाद एक दिन सुखाया जाता है। पारंपरिक तरीके से खेती करने वाले किसान डंडों से पीट कर मूंग के दाने निकालते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बैलों की मदद से मूंग के दाने अलग किए जाते हैं। नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे किसान मूंग और उड़द की कटाई के लिए थ्रेसर का उपयोग करते हैं। मूंग की खेती उन्नत तरीके से करने पर 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत उपज हासिल की जा सकती है। भंडारण से पहले दानों को अच्छी तरह धूप में सुखाने की सलाह दी जाती है। नमी की मात्रा केवल 8 से 10 फीसद रहे, तभी मूंग का भंडारण करना चाहिए।

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