किसानो को लाखो की इनकम, जाने कैसे करते है इसकी खेती और लागत कितनी होगी

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Guava farming: अमरुद की खेती से होगी किसानो को लाखो की इनकम, जाने कैसे करते है इसकी खेती और लागत कितनी होगी, अमरुद भारत में आम उगाई जाने वाली एक अच्छी व्यापारिक फसल है। इसका जन्म केंद्रीय अमेरिका में हुआ है। अमरूद में विटामिन सी और पैक्टिन के साथ साथ कैल्शियम और फासफोरस भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह भारत की आम, केला और निंबू जाति के पौधों के बाद उगाई जाने वाली चौथे नंबर की फसल है।

इसकी पैदावार पूरे भारत में की जाती है। बिहार, उत्तर प्रदेश, महांराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश और तामिलनाडू के इलावा इसकी खेती पंजाब और हरियाणा में भी की जाती है। पंजाब में आमतौर पर 20000 से भी ज्यादा एकड़ में अमरुद की खेती की जाती है। ओर औसत पैदावार 160463 मैट्रिक टन पर साल की जाती है।

अमरुद की खेती के लिए उपजाऊ मिटटी fertile soil for guava cultivation

अमरुद सख्त किस्म की फसल है और इसकी पैदावार के लिए हर तरह की मिट्टी अनुकूल होती है, जिसमें हल्की से लेकर भारी और कम निकास वाली मिट्टी भी शामिल है। इसकी पैदावार 6.5 से 7.5 पी एच वाली मिट्टी में भी की जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिए इसे गहरे तल, अच्छे निकास वाली रेतली चिकनी मिट्टी से लेकर चिकनी मिट्टी में बीजना चाहिए।

फरवरी-मार्च या अगस्त-सितंबर का महीना अमरूद के पौधे लगाने के लिए सही समय माना जाता है। पौधे लगाने के लिए 6×5 मीटर का फासला रखें। यदि पौधे वर्गाकार ढंग से लगाएं हैं तो पौधों का फासला 7 मीटर रखें। 132 पौधे प्रति एकड़ लगाए जाते हैं।

जानिए अमरुद के पौधे की सिचाई के बारे में Know about irrigation of guava plant

पहली सिंचाई पौधे लगाने के तुरंत बाद और दूसरी सिंचाई तीसरे दिन करें। इसके बाद मौसम और मिट्टी की किस्म के हिसाब से सिंचाई की जरूरत पड़ती है। अच्छे और तंदरूस्त बागों में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती। नए लगाए पौधों को गर्मियों में सप्ताह बाद और सर्दियों के महीने में 2 से 3 बार सिंचाई की जरूरत होती है। पौधे को फूल लगने के समय ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती क्योंकि ज्यादा सिंचाई से फूल गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

जानिए फसल की कटाई के बारे में Know about harvesting

बिजाई के 2-3 साल बाद अमरूद के पौधों फल लगने शुरू हो जाते हैं। फलों के पूरी तरह पकने के बाद इनकी तुड़ाई करनी चाहिए। पूरी तरह पकने के बाद फलों का रंग हरे से पीला होना शुरू हो जाता है। फलों की तुड़ाई सही समय पर कर लेनी चाहिए। फलों को ज्यादा पकने नहीं देना चाहिए, क्योंकि ज्यादा पकने से फलों के स्वाद और गुणवत्ता प्रभावित होती है।

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