Agri Equipment Subsidy: किसानों के लिए सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन की अवधि बढ़ाई, जल्द करें आवेदन

5 Min Read
खबर शेयर करें

Agriculture equipment subsidy Yojana: केंद्र सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं शुरू की जाती है। इसी के तहत केंद्र सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र प्रदान करने के लिए योजना की शुरुआत की गई है। किसानों को स्ट्रॉ रीपर, स्वचालित रीपर/ ट्रैक्टर रीपर, श्रेडर/मल्चर की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। 6 फरवरी तक आवेदन करके किसान कोई भी कृषि यंत्र घर ला सकते हैं।आज कृषि यंत्रों की मदद से खेती का लगभग हर काम आसान हो गया है। राज्य सरकारें भी अब किसानों को तरह-तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान देती हैं।

कृषि यंत्र पर सब्सिडी: इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने भी ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना चलाई है। इस स्कीम के तहत अब फसल कटाई और अवशेष प्रबंधन के यंत्रों को अनुदान पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। जल्द रबी फसलों की कटाई का समय भी आने वाला है। ऐसे में स्ट्रॉ रीपर, स्वचालित रीपर या ट्रैक्टर रीपर, श्रेडर या मल्चर की खरीद पर सब्सिडी की खरीद पर 40 से 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है।25 जनवरी से आवेदन चालू हो चुके हैं। किसान चाहें तो 6 फरवरी तक अपना एप्लीकेशन फॉर्म सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करवा सकते हैं।

किन कृषि यंत्रों पर मिल रही सब्सिडी


मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने राज्य के किसानों को कटाई-फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले स्ट्रॉ रीपर, स्वचालित रीपर या ट्रैक्टर रीपर, श्रेडर या मल्चर पर 40 से 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला किया है।वर्ष 2022-23 हेतु कृषि यंत्र स्वचालित रीपर / रीपर (ट्रेक्टर चलित ), स्ट्रॉ रीपर एवं श्रेडर/मल्चर के आवेदन करने की अवधि दिनांक 01 फरवरी 2023 से बढ़ाकर 06 फरवरी 2023 तक की जा रही हैं।आवेदनों की लॉटरी दिनांक 07 फरवरी 2023 को दोपहर 12:00 बजे से सम्पादित की जायेगी।

स्ट्रॉ रीपर

स्ट्रॉ रीपर एक 3 इन 1 कृषि यंत्र है, जिससे फसल की कटाई, थ्रेशिंग और पुआल की सफाई/भूसा बनाने का काम आसानी से निपटा सकते हैं।इस यंत्र को ट्रेक्टर से जोड़कर इस्तेमाल करते हैं. ये फसल अवशेषों के प्रबंधन में सहायक है, जिससे पराली जलाने की समस्या ही नहीं रहती। स्ट्रॉ रीपर की खरीद पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए 10,000 रुपये की सिक्योरिटी मनी डीडी के तौर पर करना होगा।

स्वचालित रीपर/ट्रैक्टर रीपर

ऑटोमैटिक रीपर अपने आप चलता है, जिसे खींचने के लिए ट्रैक्टर या किसी वाहन की आवश्यकता नहीं रहती, जबकि एक रीपर ट्रैक्टर से भी संचालित होता है।यह भी फसल की कटाई और पराली के प्रबंधन का काम आसान बना देता है।स्वचालित रीपर या ट्रैक्टर रीपर की खरीद पर सब्सिडी का लाभ पाने के लिए 5,000 रुपये का सिक्योरिटी मनी डीडी के तौर पर जमा करवानी होगी।

श्रेडर/मल्चर

श्रेडर या मल्चर में लगे विशेष ब्लेड के जरिए फसल अवशेषों या पत्तियों के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं।फिर किसान चाहें तो फसल अवशेषों की नेचुरल मल्चिंग बना सकते हैं या फिर इन टुकड़ों को खेत में फैलाकर मिट्टी में ही विलीन होने के लिए छोड़ दें, ताकि ये खाद में तब्दील हो जाएं। इस यंत्र में एक विशेष ब्लेड भी लगा होता है, जो इस काम को आसान बना देता है।इस यंत्र पर सब्सिडी के लिए डीडी के तौर पर 5,000 रुपये का सिक्योरिटी मनी सब्मिट करनी होगी।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

• आवेदक का आधार कार्ड
• आवेदक का बैंक खाता विवरण (पासबुक फ्रंट पेट की कॉपी)
• आवेदक का जाति प्रमाण पत्र (एससी-एसटी किसान की पहचान हेतु)
• आवेदक के नाम से डिमांड ड्राफ्ट
• ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन
• मोबाइल नंबर
• पासपोर्ट साइज फोटो

कहां करें आवेदन

• यदि आप भी मध्य प्रदेश के किसान हैं और मध्यप्रदेश कृषि अभियांत्रिकी विभाग की ओर से चलाई जा रही ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो https://dbt.mpdage.org/Eng_Index.aspx पर आवेदन कर सकते हैं।
• यदि जिलेवार कृषि यंत्रों की लिस्ट देखना चाहते हैं तो https://www.mpdage.org/Advertisement/e-krishi-DD_090921062243.pdf पर भी विजिट कर सकते हैं।
• ई-कृषि यंत्र अनुदान योजना के तहत कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए आवेदन करने वाले किसानों में से लाभार्थी का चयन लॉटरी माध्यम से किया जाएगा।
• आवेदन 1 फरवरी तक खुले हैं, जिसके बाद चयनित किसानों के नामों की घोषणा भी 2 फरवरी को ही लॉटरी निकालने के बाद ही कर दी जाएगी।अधिक जानकारी के लिए https://dbt.mpdage.org/ पर विजिट कर सकते हैं।


Source by – ekisan.net


खबर शेयर करें
Share This Article
By Harry
Follow:
नमस्ते! मेरा नाम "हरीश पाटीदार" है और मैं पाँच साल से खेती बाड़ी से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी, अनुभव और ज्ञान मैं अपने लेखों के माध्यम से लोगों तक पहुँचाता हूँ। मैं विशेष रूप से प्राकृतिक फसलों की उचित देखभाल, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का सामना, और उचित उपयोगी तकनीकों पर आधारित लेख लिखने में विशेषज्ञ हूँ।