अलसी की खेती: कम लागत में 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अलसी का उत्पादन कैसे करें, देखें तरीका

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अलसी की खेती से संबंधित संपूर्ण जानकारी

Kisan News: वर्तमान के समय में मध्यप्रदेश में अलसी की खेती बड़े स्तर पर की जाने लगी हैं। अलसी की खेती अगर वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो वह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से अलसी की खेती के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं, कि आप किस प्रकार से अलसी की खेती वैज्ञानिक तरीके से कर सकते हैं और प्रति हैक्टेयर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसी के साथ हम आपको अलसी की उन्नत किस्म के बारे में भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।

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अलसी की खेती: अलसी की दो बेहतर किस्मों में जेएलएस-66 प्रजाति और जेएलएस-27 प्रजाति शामिल है। अलसी की खेती के लिए आप वैज्ञानिकों की सलाह ले सकते हैं। अलसी की खेती के लिए सबसे पहले आपको बीज उपचार करना जरूरी है। इससे फसल पर उगरा रोग नहीं लगता है। फसल में फूल आने से पहले 0.5 प्रतिशत बेंटोनाइट सल्फर का स्प्रे करना चाहिए ताकि फसल पर किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगे। जेएलएस 27 प्रजाति से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व जेएलएस 66 प्रजाति से 16.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हासिल कर सकते हैं।

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अलसी की खेती के लिए जमीन का चुनाव– अलसी के लिए काली दोमट चूना युक्त अच्छे जल निकास वाली जमीन उपयुक्त पाई गई है। इसके लिए न क्षारीय भूमि न अम्लीय भूमि हो, वह अलसी की खेती के लिए बेहतर मानी जाती है। तीन ग्राम सेरेमान या थायरम से बीजोपचार करेंं। बावस्टीन 1.5 ग्राम 2.5 ग्राम थायरम या टापसिन एम 2.5 ग्राम प्रति किलो से बीजोपचार करना चाहिए। सिंचित अलसी के लिए 2.5 टन नाडेप कम्पोस्ट व 400 ग्राम पीएसबी कल्चर या 1.5 टन वर्मी कम्पोस्ट एवं 400 ग्राम पीएसबी कल्चर डालकर अलसी फसल के किसान बिना रासायनिक खाद डाले।

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अलसी की खेती कैसे करें: अलसी की बुवाई करने के लिए एक हेक्टेयर यानी ढाई एकड़ के लिए 25 से 30 किलोग्राम अलसी का बीज चाहिए। बुवाई 30 सेंटीमीटर या एक फीट की दूरी पर कतारों में होनी चाहिए। बीज छोटा होन के कारण 3-4 सेंटीमीटर से अधिक गहरी होनी चाहिए।अलसी के लिए 40 से 60 किलोग्राम नत्रजन, 30 किलोग्राम स्फुर, 20 किलोग्राम पोटाश, 30 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर देने की सिफारिश की गई है। प्रारंभिक तौर पर 100 से 150 क्विंटल गोबर की खाद या कम्पोस्ट खेत में मिलाएं। समय पर खरपतवार नियंत्रण तथा केवल 2-3 सिंचाई ही काफी हैं।

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