मिर्च की इन किस्मों की खेती से उपज पर नहीं होगा विपरीत असर
मिर्ची एक ऐसी फसल है जिसकी मांग वर्ष भर रहती है क्योंकि हरी मिर्ची को प्रत्येक घर में उपयोग में लिया जाता है। रबी के सीजन में हरी मिर्च की बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर से नवंबर के मध्य होता है। गर्मी के मौसम में मिर्च की बुवाई फरवरी और मार्च के माह में की जाती हैं। मिर्ची अचार और सलाद के रूप में प्रयोग किए जाने के साथ-साथ सब्जी में भी इसका उपयोग किया जाता है। हरी मिर्च को पूर्ण विकसित होने पर इसी अवस्था में तोड़ लिया जाता है। यदि मिर्ची को मसाले के रूप में प्रयोग करना है तो मिर्ची को पूर्ण रूप से लाल होने पर तोड़ लिया जाता है। फसल के पकने के पश्चात इसकी तुड़ाई की जाती है। अन्य फसल के सामान्य मिर्च की फसल में भी रोग लगने की संभावना रहती है जिससे पैदावार पर विपरीत असर होता है। मिर्ची के पौधे पर वायरस जनित रोग का प्रकोप हो जाता है। मिर्च में वायरस जनित रोगों से पत्तियां मुड़ जाती हैं और पीली होकर नष्ट हो जाती हैं जिससे पूरे पौधे का विकास रुक जाता है। इन रोगों के प्रकोप से पैदावार में कमी होने से काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में किसान भाई मिर्च की खेती में मिट्टी के आधार पर उन्नत किस्म का चयन करें जो रोगों के प्रति सहनशील हो। इसी क्रम में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु ने मिर्ची की कई किस्में विकसित की हैं जो रोगों के प्रति सहनशील हैं। आइए, मिर्च की इन उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
भारत में मिर्च की खेती से सम्बन्धित राज्य
भारत में मिर्च की खेती से संबंधित राज्य इस प्रकार हैं – मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और गुजरात आदि। भारत में अन्य देशों जैसे – UK, UAE, कतर और ओमान देशों में मिर्च का निर्यात भी किया जाता है। हमारे देश में मिर्ची की खेती लगभग 7.33 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है।
मिर्च की उन्नत 5 किस्में
मिर्च की रोग प्रतिरोधी किस्म का विकास किया गया है। मीडिया के अनुसार संस्थान द्वारा मिर्च की 5 उन्नत किस्म को विकसित किया है जो रोग प्रतिरोधी हैं। ये किस्में इस प्रकार हैं –
(1) अर्का यशस्वी किस्म
मिर्च की अर्का यशस्वी किस्म सूखी लाल मिर्च के उपज के लिए उत्तम किस्म है। मिर्च की अर्का यशस्वी किस्म से प्राप्त उपज प्रति एकड़ लगभग 30 से 35 क्विंटल है।
(2) अर्का तेजस्वी किस्म
मिर्च की अर्का तेजस्वी किस्म भी सूखी मिर्च के उपज के लिए उत्तम किस्म है। मिर्च की अर्का तेजस्वी किस्म से प्राप्त सूखी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 30 से 35 क्विंटल है।
(3) अर्का सान्वी किस्म
मिर्च की अर्का सान्वी किस्म हरी और सुखी मिर्च दोनों के लिए उत्तम किस्म है। मिर्च की अर्का सान्वी किस्म से प्राप्त सूखी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल और हरी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 30 से 35 क्विंटल है।
(4) अर्का तन्वी किस्म
मिर्च की अर्का तन्वी किस्म भी अर्का सान्वी के समान हरी और सुखी मिर्च दोनों के लिए उत्तम किस्म है। मिर्च की अर्का तन्वी किस्म से प्राप्त सूखी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल और हरी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 30 से 35 क्विंटल है।
(5) अर्का गगन किस्म
मिर्च की अर्का गगन किस्म के पौधे का आकार मध्यम होता है। मिर्च की अर्का गगन किस्म से प्राप्त हरी मिर्च की उपज प्रति एकड़ लगभग 100 क्विंटल है।
मिर्च की इन किस्मों में कीटनाशकों का कम मात्रा में होगा प्रयोग
मिर्च की उन्नत खेती में किसान भाई फसल को कीट और रोगों पर नियंत्रण करने के लिए कई प्रकार के कीटनाशक और फफूंदनाशक का प्रयोग करते हैं जिनके दाम भी ज्यादा होते हैं। कीटनाशक महंगे होने के अतिरिक्त मिट्टी और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। किसान भाई को इन कीटनाशकों के खरीद में काफी खपत होती है। इस बात का ध्यान रखते हुए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु ने मिर्च की उन्नत 5 किस्म का विकास किया है जिससे फसल रोग ग्रस्त नहीं होगी। किसान भाई इन किस्म की खेती करें जिससे कीटनाशकों पर होने वाला खर्च नहीं होगा। मिर्च की खेती में लागत कम होने से किसान भाइयों को अधिक लाभ प्राप्त होगा।
अंतिम परीक्षण के पश्चात् उपलब्ध कराई गई किस्में
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु ने मिर्च की 52 किस्म पर परीक्षण करके उनमें से 5 उन्नत किस्म का विकास किया है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु में कर्नाटक के साथ अतिरिक्त देश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर मिर्च की इन सभी किस्म पर परीक्षण किया है। अंतिम परीक्षण के पश्चात् ही मिर्ची की इन 5 उन्नत किस्मों को किसान भाइयों को उपलब्ध कराई गई।
संस्थान की ओर से विकसित मिर्च की अन्य किस्में
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरू ने मिर्च की अन्य किस्मों का भी विकास किया हैं। ये किस्में रोगों के प्रति सहनशील होने के साथ ही भरपूर उपज देने की क्षमता रखती हैं। मिर्च की अन्य उन्नत किस्में इस प्रकार हैं जो विभिन्न रोगों के प्रति सहनशील हैं:
- अर्का मेघना (वायरस और चूसक कीट विरोधी)
- अर्का हरिता (पाउडरी मिलड्यू रोग और वायरस विरोधी)
- अर्का नीलांचल प्रभा (एन्थ्राक्नोज रोग प्रतिरोधी)
- अर्का ख्याती (पाउडरी मिलड्यू रोग और वायरस प्रतिरोधी)
मिर्च की इन रोग प्रतिरोधी किस्मों की खेती कर किसान भाई कीट एवं रोगों से फसल को सुरक्षित रखने के साथ ही अच्छी उपज भी प्राप्त कर सकते हैं।